13 तारीख से जब से किसानों ने आंदोलन चालू किया है उसके बाद से यह आंदोलन कम और उपद्रव और सरकार के खिलाफ कोई एजेंडा मालूम पड़ता है क्योंकि जिस तरीके से किसान अपनी पूरी तैयारी और पत्रकारों आदि पर हमले कर रहे हैं। उस हिसाब से तो यह कोई आंदोलन नहीं लगता।
ऐसा प्रतीत होता है जैसे विपक्ष या फिर किसी रणनीति के अनुसार कोई एजेंडा है।आंदोलन में से कई ऐसे लोगों के बयान भी वायरल हो रहे हैं जो पंजाब को अलग देश बनाने की कर रहे हैं ,किसानों की आड़ में सिर्फ किसानों का नाम यूज किया जा रहा है इसके पीछे मकसद तो कुछ और ही नजर आता है।
विदेशी मीडिया और यूट्यूब पर बीजेपी के अगेंस्ट में रहने वाले यूट्यूबर पर और मीडिया यह दिखा रहे हैं कि हम कोई आतंकवादी नहीं है हमें दिल्ली जाने दो लेकिन आप दूसरे नजरिए से देखिए पिछली बार इतने पुख्ता इंतजाम होने के बावजूद भी लाल किला जहा गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है और देश का झंडा लगाया जाता है वहां पर जाकर इन लोगों ने खालिस्थान का झंडा लगा दिया तो अब अगर सरकार वह सब दोबारा नहीं होने देना चाहती तो इसमें गलत ही क्या है?
अपनी मांगो को लेकर आन्दोलन व अनसन करना कोई गलत बात नही हमारा सविंधान हमे हक़ देता हैं इसका लेकिन सरकार अगर इतने सुरक्षा के इन्तेजाम ना करे तो यह लोग दुबारा खालिस्थान जैसा देशविरोधी काम ना करे उसका जिम्मेदार कौन होगा?
विदेशी मीडिया और यूट्यूब पर बीजेपी के अगेंस्ट में रहने वाले यूट्यूब पर और मीडिया यह दिखा रहे हैं जैसे कि किसानों के साथ अत्याचार हो रहा है लेकिन जिस तरीके से बताया जा रहा है कि गरीब किसान हैं उनके आंदोलन को देखकर तो यह नहीं लगता। उनके आंदोलन में करोड़ों रुपए की महंगी महंगी कारें हैं और यह अपनी सारी सुविधाओं के साथ आए हैं और यह पुलिस , मीडिया पर भी हमला करने से पहले एक बार नहीं सोच रहे। यह कैसे गरीब किसान हैं जो अपना आंदोलन इस तरीके से कर रहे हैं और कह रहे हैं कि हम शांतिपूर्ण तरीके से सब कर रहे हैं?
आपकी इस बारे में क्या राय हैं हमे जरुर बता सकते हैं